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फांसी किस जुर्म में दी जाती है?
Fansi Ki Process – साल 1983 में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि भारत में ‘रेयरेस्ट ऑफ द रेयर’ यानी सबसे संगीन और घिनौने मामले में ही
फांसी की सजा होगी गले में रस्सी के कसने के कारण हुई मौत को फांसी कहा जाता है प्राचीन काल में अपराधियोँ को दण्ड देने के लिये फांसी की सजा
दी जाती थी और वर्तमान में भी जघन्य अपराधोँ के दण्ड हेतु यह प्रथा प्रचलन में है अरब देशोँ में फांसी बहुत सामान्य सजा है भारत में भी फांसी की सजा प्रचलन में है और देश की प्रमुख जेलोँ में इसके लिये फांसीघर बने हुये हैं इन जेलोँ में फांसी देने वाले कर्मचारियोँ की नियुक्ति होती है जिन्हे जल्लाद कहा जाता है आत्महत्या के लिये भी फांसी एक सर्वाधिक प्रयुक्त होने वाला तरीका है
फांसी में व्यक्ति के गले में रस्सी का फन्दा कस जाता है और उसका साँस मार्ग अवरुद्ध हो जाने से उसका दम घुट जाता है और इस प्रकार उस व्यक्ति की दर्दनाक मौत हो जाती है
Execution process Hilight
- फांसी किस जुर्म में दी जाती है?
- फांसी के नियम क्या है?
- Fansi की सजा क्या है?
- फांसी की सजा कितने बजे दी जाती है?
- अब तक भारत में कितनी फांसी हुई है?
- दोहरी फांसी क्या है?
- क्या किसी व्यक्ति को दो बार फाँसी हुई है?
- किसी भी मुजरिम को फाँसी सूरज निकलने से पहले ही क्यों दी जाती है?
- जल्लाद मुजरिम के कान में क्या कहता है?
- क्या फाँसी देने के बाद रस्सी को दुबारा फाँसी देने के लिए लिया जाता है?
- आजादी के बाद भारत में पहली बार किस महिला को फाँसी दी जाएगी और क्यों?
फांसी के नियम क्या है?
फांसी की प्रक्रिया – भारत देश में किसी भी मुजरिम को फांसी देने के नियम है जिनके आधार पर हो मुजरिम को पंसी दी जाती है आपको फांसी के सभी नियम निचे दिए गए है
- सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश के मुताबिक जिसे मौत की सजा दी जाती है
- उसके रिश्तेदारों को कम से कम 15 दिन पहले खबर मिल जानी चाहिए ताकि वो आकर मिल सकें
- फांसी की सजा पाए कैदियों के लिए फंदा जेल में ही सजा काट रहा कैदी तैयार करता है
- आपको अचरज हो सकता है, लेकिन अंग्रेजों के जमाने से ऐसी ही व्यवस्था चली आ रही हैं
- देश के किसी भी कोने में फांसी देने की अगर नौबत आती है
- तो फंदा सिर्फ बिहार की बक्सर जेल में ही तैयार होता है
- इसकी वजह यह है कि वहां के कैदी इसे तैयार करने में माहिर माने जाते हैं.
- फांसी के फंदे की मोटाई को लेकर भी मापदंड तय है
- फंदे की रस्सी डेढ़ इंच से ज्यादा मोटी रखने के निर्देश हैं
- इसकी लंबाई भी तय हैं
- फाँसी के फंदे की कीमत बेहद कम हैं
- दस साल पहले जब धनंजय को फांसी दी गई थी,
- तब यह 182 रुपए में जेल प्रशासन को उपलब्ध कराया गया था
- भारत में फांसी देने के लिए बस 2 ही जल्लाद हैं. ये जल्लाद जिन राज्यों में रहते हैं
- वहाँ की सरकार इन्हें 3,000 रूपए महीने के देती हैं
- और किसी को फांसी देने पर अलग से पैसे दिए जाते हैं
- आतंकवादी संगठनो के सदस्यों को फांसी देने पर उनको मोटी फीस दी जाती हैं
- जैसे इंदिरा गांधी के हत्यारों को फांसी देने पर जल्लाद को 25,000 रूपए दिए गए थे
- हमारे देश में दुर्लभतम मामलों में मौत की सजा दी जाती है
- अदालत को अपने फैसले में ये लिखना पड़ता है कि मामले को दुर्लभतम (रेयरेस्ट ऑफ द रेयर) क्यों माना गया|
Execution process – फांसी की सजा क्या है?
फांसी की प्रक्रिया – फांसी कि सजा एक कैपिटल पनिशमेंट. डेथ सेंटेंस. मृत्युदंड. सज़ा-ए-मौत है
साल 1983 में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि भारत में ‘रेयरेस्ट ऑफ द रेयर’
यानी सबसे संगीन और घिनौने मामले में ही फांसी की सजा होगी फांसी प्राचीन समय में एक व्यक्ति को मृत्यु दंड दिया जाता था
fansi ki saja कितने बजे दी जाती है?
फांसी की प्रक्रिया – मुजरिम को फासी देना का समय महीने के हिसाब से अलग – अलग होता है
सुबह 6, 7 या 8 बजे. लेकिन ये वक्त हमेशा सुबह का ही होता है इसके पीछे कारण ये है
कि सुबह बाकी कैदी सो रहे होते हैं और जिस कैदी को फांसी दी जानी है,
उसे पूरे दिन मौत का इंतज़ार नहीं करना पड़ता है
मुजरिम को फांसी देने से थोड़ी देर पहले ही फांसी के फदे के पास लाया जाता है
अब तक भारत में कितनी फांसी हुई है?
देश में बहुत से दोषियों को फांसी कि सजा सुने गई है आजादी के बाद फांसी की सजा पाने वाले 1414 कैदियों में से सिर्फ 72 मुस्लिम केडी है
लेकीन 2012 निर्भया कांड के दोषियों को सुबह 5.30 बजे दिल्ली की तिहाड़ जेल में फांसी दी गई थी
इस निर्भया के चारों दोषियों को मिलाकर आजाद भारत में होने वाली यह 61वीं फांसी थी
अगर हम पिछले 16 साल की बात करें तो भारत में 1300 से अधिक लोगों को मौत की सजा सुनाई जा चुकी है
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक़, साल 2004 से 2013 के बीच भारत में 1303 लोगों को फांसी की सज़ा सुनाई गई,
हालांकि इस दौरान केवल तीन लोगों को फांसी दी गई
दोहरी फांसी क्या है?
गले में रस्सी के कसने के कारण हुई मौत को फांसी कहा जाता है प्राचीन काल में अपराधियोँ को दण्ड देने के लिये फांसी की सजा दी जाती थी
और वर्तमान में भी जघन्य अपराधोँ के दण्ड हेतु यह प्रथा प्रचलन में है
अरब देशोँ में फांसी बहुत सामान्य सजा है भारत में भी फांसी की सजा प्रचलन में है
और देश की प्रमुख जेलोँ में इसके लिये फांसीघर बने हुये हैं
इन जेलोँ में फांसी देने वाले कर्मचारियोँ की नियुक्ति होती है जिन्हे जल्लाद कहा जाता है
आत्महत्या के लिये भी फांसी एक सर्वाधिक प्रयुक्त होने वाला तरीका है
फांसी में व्यक्ति के गले में रस्सी का फन्दा कस जाता है और उसका साँस मार्ग अवरुद्ध हो जाने से उसका दम घुट जाता है
और इस प्रकार उस व्यक्ति की दर्दनाक मौत हो जाती है
क्या किसी व्यक्ति को दो बार फाँसी हुई है?
फांसी की प्रक्रिया – बांबे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने 21 साल के एक व्यक्ति को दोहरी उम्रकैद और दोहरी मौत की सजा सुनाई है
शत्रुघ्न मसराम ने हैवानियत की हद पार करते हुए दो साल की बच्ची का दुष्कर्म करने के बाद उसकी हत्या कर दी थी यह सजा अपने आप में पहली और अकेली है जस्टिस भूषषण गावी और जस्टिस प्रसन्ना वराले की खंड पीठ ने सजा की पुष्टि की, यवतमाल के सत्र न्यायालय ने इस मामले में शत्रुघ्न को दोहरी फांसी और दो बार उम्रकैद की सजा सुनाई थी हाई कोर्ट ने सजा को बरकरार रखा दोषी ने हाई कोर्ट में अपील की थी
कि उसकी कम उम्र को देखते हुए सजा सुनाने में नरमी की जाए हालांकि, अदालत ने उसकी याचिका को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि ऐसे जघन्य अपराध में दया की कोई गुंजाइश नहीं हो सकती कोर्ट ने इस मामले को रेयरेस्ट ऑफ रेयर अपराध की श्रेणी में रखा यवतमाल के घंटाजी शहर में गरीब परिवार की दो साल की बच्ची को शत्रुघ्न ने पास के एक निर्माण स्थल ले जाकर हवस का शिकार बनाया। उसने दांत से बच्ची के शरीर का मांस जगह-जगह काट दिया था
किसी भी मुजरिम को फाँसी सूरज निकलने से पहले ही क्यों दी जाती है?
किसी भी मुजरिम को फाँसी सूरज निकलने से पहले इसलिए दी जाती है क्योंकि सूरज निकलने के बीच इंसान का दिमाग सबसे ज्यादा शांत होता है और फांसी के समय उसके शरीर में ज्यादा तड़पन और अकड़न नहीं होती है और दूसरे शब्दों में जेल जाने के तहत फांसी सूर्योदय से पहले के समय दी जाती है क्योकि जेल की अन्य कार्य सूर्योदय के बाद शुरू हो जाते है अन्य कार्य इन्फ न हो इसलिए सुबह फांसी दी जाती है
जल्लाद मुजरिम के कान में क्या कहता है?
फांसी की प्रक्रिया – फांसी मृत्युदंड के तौर पर जब दिया जाता है तो जल्लाद कैदी के कानों में अपने नित्य कर्म का उल्लेख करता है आखिरी वक्त जल्लाद मुजरिम के कान में कहता है कि हिंदुओं को राम राम और मुस्लिमों को सलाम. मैं अपने फर्ज के आगे मजबूर हूं मैं आपके सत्य की राह पे चलने की कामना करता हू|
क्या फाँसी देने के बाद रस्सी को दुबारा फाँसी देने के लिए लिया जाता है?
फांसी की प्रक्रिया – आपको बता दे फाँसी देने के बाद उस रस्सी को दुबारा फाँसी देने के लिये यूज नही किया जाता हैं जब हमारे देश में मृत्युदंड की सजा सुनाने के बाद जज उस पैन की निब ही तोड़ देता है, जिससे उसने डैथ वारंट पर हस्ताक्षर किये है। तब ऐसे में उस रस्सी को कैसे यूज कर सकते है, जिससे किसी को फाँसी दी गई है उस रस्सी को दोबारा काम में नही लिया जाता है
आजादी के बाद भारत में पहली बार किस महिला को फाँसी दी जाएगी और क्यों?
फांसी की प्रक्रिया – आजादी के बाद भारत में पहली बार किसी महिला को फांसी होने जा रही है ये महिला अपराधी अमरोहा की रहने वाली शबनम है जिस ने अप्रैल 2008 में प्रेमी के साथ मिलकर अपने 7 परिजनों की कुल्हाड़ी से काटकर बेरहमी से हत्या कर दी थी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शबनम की फांसी की सजा बरकरार रखी थी राष्ट्रपति ने भी उसकी दया याचिका ख़ारिज कर दी है उत्तरप्रदेश के अमरोहा के रहने वाली सबनम जो आजाद भारत मे प्रथम महिला होगी जिसे आगरा के जेल में फांसी के तख्ते पर चढ़ाया जाएगा
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