Rajasthan Bhumi Vikas Bank udhyog Loan Yojana – प्रदेश के कृषि एवं ग्रामीण विकास कार्यो का बढ़ावा देने, बेरोजगारी दूर करने, महिलाओं को विकास में भागीदार बनाने, उद्योग धन्धों को बढ़ावा देने के लिए दीर्घकालीन सहकारी साख के माध्यम से राजस्थान राज्य सहकारी भूमि विकास बैक द्वारा समय≤ पर साख की मॉग को देखते हुए योगदान देने के लिये बहुआयामी योजनाएॅ बनाई जाती रही हैं। इन्हीं योजनाओं में सम्मिलित अकृषि कार्यो हेतु भी ऋण योजना हैं, जिसके माध्यम से लघु/सूक्ष्म उद्योग एवं सेवा इकाईयों के लिये दीर्घकालीन सहकारी साख उपलब्ध कराई जा रही है। आप भी इन योजनाओं के अन्तर्गत उक्त कार्यो हेतु ऋण प्राप्त कर सकते हैं, जिनका विवरण निम्नानुसार है
1- कार्यकलाप–
लघु/सूक्ष्म उद्योग, सेवा इकाइयॉ, वर्तमान इकाइयों का नवीनीकरण /आधुनीकरण/विस्तार, परम्परागत कुटीर तथा ग्रामीण उद्योग, ग्रामीण दस्तकार, भण्डार गोदाम, पारम्परिक क्षेत्र जैसे- हथकरघा/हस्तशिल्प उद्योग, रेशम उत्पादन एवं विपणन, क्लिनिक, डायग्नोस्टिक सेन्टर, कियोस्क, सेवा गतिविधिंया जैसे- टैन्ट हाउस, साइकिल/ ऑटो रिपेयर, एग्रो सर्विस सेन्टर, टेलीप्रिन्टर/ फोटोस्टेट/फैक्स, साइबर कैफे, टाइपिंग सेन्टर, प्रिंटिग प्रेस, हेयर कटिंग सैलून/ब्यूटी पार्लर, कम्प्यूटर ट्रेनिंग सेन्टर, अकृषि क्षैत्र के अंतर्गत कार्यकलापों के कवरेज का विस्तार जिसमें उच्च शिक्षा ऋण योजना, स्वरोजगार क्रेडिट कार्ड, श़ैक्षणिक संस्थान ऋण योजना, व्यक्तिगत वाहन ऋण योजना, स्वास्थय सेवा योजना, पर्यटन सेवा योजना, सूचना प्रोद्योगिकी ऋण योजना सम्मिलित है एवं समस्त निर्माण तथा प्रोसेसिंग गतिविधियॉ आदि विभिन्न प्रकार के उद्योगों व सेवा इकाइयों हेतु।
2- ऋण हेतु पात्र- मद–
भवन एवं वर्कशेड, प्लांट एवं मशीनरी, परिचालन पूर्ण खर्चे, फर्नीचर एवं फिक्सचर तथा कार्यशील पुंजि हेतु ऋण सुविधा एक साथ उपलब्ध है, जिससे उद्यमियों को भिन्न-भिन्न संस्थाओं/बैंकों से सम्पर्क नहीं करना पडता है।
3- पात्रता: वैयक्तिक अथवा संयुक्त रूप से।–
उद्यमी के नाम से बैंक के पक्ष में प्रत्याभूति (सिक्योरिटी) प्रस्तुत करने हेतु भार रहित पर्याप्त कृषि/आवासीय/औद्योगिक भूमि/भवन हो। आवेदक इकाई के संचालन में सक्षम हो तथा क्षेत्र के बैंकों/वित्तीय संस्थाओं में उनकी अच्छी साख हो। उनमें स्वंय का अंशदान रहन करने की क्षमता हो। साथ ही इकाइ के संचालन का अनुभव हो। ऋण क्षमता
उद्यमी द्वारा प्रत्याभूति स्वरूप प्रस्तुत भूमि /भवन एवं प्रस्तावित उद्योग की स्थायी परिसम्पतियॉ (भूमि, भवन) के मूल्यांकन का 60 प्रतिशत तक ऋण स्वीकृत किया जा सकता है।
4- ऋण चुकारे की क्षमता–
प्रस्तावित इकाई से संभावित शुद्व आय का 75 प्रतिशत तक ऋण चुकाने की क्षमता का आंकलन किया जाता है।
6-ऋण राशि–
प्राथमिक बैंक की क्षमतानुसार एक इकाई के लिये 50-00 लाख रू- तक की परियोजनाओं हेतु शीर्ष बैंक के नार्मस अनुसार ऋण स्वीकृत किया जा सकता है।
7- उद्यमी का अंशदान–
उद्यमी का अंशदान परियोजना लागत का 15 से 25 प्रतिशत तक।
8-ब्याज दर
– बैंक द्वारा समय≤ पर परिवर्तित ब्याज दर लागू होगी । अवधिपार राशि पर 3 प्रतिशत की दर से दण्डनीय ब्याज देय होगा ।
9-ऋण के चुकारे की अवधि-
– ऋण के चुकारे की अवधि 2 से 10 वर्ष तक हो सकती है। उद्यम के प्रकार एवं संभावित आय तथा शुद्व लाभ को दृष्टिगत रखते हुए ऋण के चुकारे की अवधि निर्धारित की जाती है। ऋण का चुकारा उद्यम के अनुसार मासिक/त्रैमासिक/अर्द्व वार्षिक किश्तों में करना होता है।
10- देय शुल्क-
ऋण राशि पर 0-25 प्रतिशत की दर से प्रशासनिक शुल्क देय है। ऋण स्वीकृति के समय अन्य शुल्क जैसे प्रोसेसिंग फीस, विधि राय शुल्क आदि नहीं लिये जाते हैं।
11- हिस्सा राशि-
ऋण वितरण से पूर्व बैंक की हिस्सा राशि में निम्न प्रकार विनियोग किया जाता है:-
रू- 2-00 लाख तक ऋण राशि का 5 प्रतिशत
रू- 2-00 लाख से अधिक ऋण राशि का 3 प्रतिशत
12- बीमा —
बेक ऋण से स्थापित इकाई का सभी जोखिमों सहित कम्प्रीहेनिंसव बीमा होगा, जिसका ऋण अवधि तक प्रतिवर्ष नवीनीकरण कराना होगा।
13- ऋण स्वीकृति प्रक्रिया-
– रूपये 20 लाख तक के लघु/सूक्ष्म उद्योगों एवं सेवा इकाइयों हेतु ऋण प्राथमिक सहकारी भूमि विकास बैक स्तर पर तथा 20 लाख रू- से अधिक एवं रू- 50.00 लाख तक के ऋण राजस्थान राज्य सहकारी भूमि विकास बैंक स्तर पर स्वीकृत किये जाते हैं।
उन उद्यमियों को, जिनमें उद्यम चलाने हेतु आवश्यक प्रतिभा एवं कौशलता है, किन्तु अपेक्षित मार्जिन राशि के लिये मोद्रिक संसाधनों की कमी है, इस योजनान्तर्गत कुल परियोजना लागत की 20 प्रतिशत किन्तु अधिकतम 5-00 लाख रू0 तक की ऋण सुविधा उपलब्ध कराई जा सकती है। मार्जिन मनी के रूप में उद्यमी द्वारा न्यूनतम अंशदान आवश्यकतानुसार लगाया जाना आवश्यक है।
14- ब्याज दर बैंकद्वारा समय पर परीवर्तित ब्याज दर लागु होगी –
– उक्त ऋण पर 3 प्रतिशत वार्षिक सर्विस चार्ज देय होगा, जिसकी वसूली सावधि ऋण के साथ ही की जायेगी।
1- गत तीन वर्षो की उस क्षेत्र की भूमि की विक्रय दर। आवासीय परिसर के केस में राजकीय मान्यता प्रापत मूलयांकर्ता अथवा सहायक/कनिष्ठ अभियन्ता द्वारा तैयार मूल्यांकन रिपोर्ट।
2- परियोजना रिपोर्ट।
3- निर्धारित प्रपत्रों में प्रार्थी एवं जमानतदारों के शपथ पत्र।
4- प्रस्तावित प्लांट एवं मशीनरी तथा फर्नीचर-फिक्सचर आदि के कोटेशन।
5- इकाई स्थल के स्वामित्व संबंधी पत्रादि अथवा किरायानामा।
6- आवश्यकतानुसार राज्यसरकार/नगरपालिका/पंचायत/प्रदूषण मण्ड़ल से ना-आपत्ति प्रमाण पत्र अथवा उद्योग लगाने की अनुमति तथा जिला उद्योग केन्द्र में पंजीकरण का प्रमाण पत्र।
खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग की ग्रामीण रोजगार ( मार्जिन मनी) योजना अन्तर्गत आयोग द्वारा परिभाषित ग्रामीण क्षेत्र तथा उद्योगों हेतु राजस्थान खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड से जिला उद्योग केन्द्र के माध्यम से अकृषि ऋणों पर अनुदान सुविधा भी उपलब्ध होती है।
15- लधु/कुटीर/ग्रामीण/छोटे पैमाने के पात्र उद्योग–
1- खाल उतारना एवं चर्मशोधन
2- चमड़े का सामान: जूते बनाने, चमड़े की वस्तुंए/कलात्मक कार्य, मोची और पच्चीकारी के वर्तन बनाना।
3- मिट्टी के धरेलू एवं सजावटी बर्तन बनाना।
4- घान और अनाजों की हाथ से कुटाई
5- चावल मिल, आटा मिल और बेकरी।
6- तेल पिराई : ग्रामीण तेल (घाणी) एवं अखद्य तेल।
7- ताड़ का मुड़ : ताड़ की चीनी, नीरा।
8- गन्ने का गुड और खण्डसारी
9- फल और सब्जियों की डिब्बाबन्दी।
10- पेय पदार्थ वाले उद्योगों के साथ कृषि और समुद्री उत्पादों तथा वन उत्पादों का विनिर्माण व अभिसंस्करण।
11- अन्य ग्रामीण उद्योग—बढ़ईगिरी और लोहारगिरी, मघुमक्खी पालन और शहद उत्पादन, हस्तनिर्मित कागज, विधिक ग्रामीण उद्योग/कुटीर उद्योग आदि।
12- हस्तशिल्प उद्योग—गोटा पट्टी कार्य, चूड़ी और मनका, बेंत और बांस, कारपेट/दरी निर्माण हस्त मुद्रा व रगाई कशीदा कढ़ाई, आभूषण निर्माण, पत्थर की नक्काशी, खिलौने व गुड़िया बनाना, फाईबर/घास और पत्तों के उत्पाद, लकड़ी का सजावटी कार्य, बास्केट/चटाई/झाड़ू बनाना, ललित कला और शिल्प, जरी का कार्य, केलिकों प्रिंटिग, लाख और रोगन के कार्य।
13- सामान्य इंजीनियरिंग— कन्ड्यूट पाइप निर्माण, ढलाई, अलौह धातु कार्य, स्टील ट्रंक, स्टील रेक्स, ताले, छूरी- कांटा (कटलरी) मेटल रोलिंग, हार्डवेयर, एल्यूमिनियम का सामान, पीतल, ताम्बा और कांसे के कार्य, खेती के औजार, सिलाई मशीन, बिजली/रेडियो के सहायक उपकरण,मोटर के पुर्जो का निर्माण, साइकिल के पुर्जो का निर्माण, ब्रश बनाना, यांत्रिक खिलौने, कलईगिरी औजारों का निर्माण, असेम्बली वर्क्स, वैज्ञानिक उपकरण आदि।
14- कैमिकल इंजीनियरिंग और कैमिकल उद्योग : माचिस की फैक्टरी और आतिशबाजी के कार्य, फार्मास्यूटिकल, साबुन बनाना, परफ्यूमरी, इत्र व सुंगध, घूप बूट पालिस, स्याही निर्माण, नमक, सोडा, रबड़ का सामान, शीशे का सामान, प्लास्टिक का सामान आदि।
15- निर्माण सामग्री : पत्थर की पिसाई, खनन कार्य, कंक्रीट का सामान, ईट और टाइल्स, संगरमर का काम, चूना आदि।
16- रेशम उत्पादन।
17- रेशा।
18- कताई करने वालों का कार्य।
19- कॉटन टैक्सटाइल्स और अन्य टैक्सटाइल्स।
20- छपाई, जिल्दसाजी और प्रस्तर मुद्रा।
21- आरामिल, लकड़ी का काम और फर्नीचर तथा उपस्कर।
22- विविध उद्योग : साीमेंट का काम, बीडी बनाना, स्टेशनरी, गोटा बनाना, कार्डबोर्ड, कागज के अन्य उत्पाद, बटन बनाना, खेल का सामान, प्लाइबुड, चमड़े का काम, मेटल का काम, हाजरी, वस्त्र बनाना, बुनाई और सिलाई, असली व बनावटी रत्नों और पत्थरों की कटाई/पालिश आदि। इसके अतिरिक्त भी निगेटिव लिस्ट में सम्मिलित उद्योगों के अतिरिक्त कोई भी उद्योग हेतु ऋण दिया जा सकेगा।
16- सेवा गतिविधिंया
1- विज्ञापन एजेंसी
2- टाइपिंग/जीरोक्स सेन्टर
3- मार्केटिंग / इन्डस्ट्रीयल कन्सलटेन्सी
4- इक्यूपमेंट रेण्टल एण्ड लिजिंग
5- टेलीप्रिन्टर/एस-टी-डी-/फैक्स सेवाऐं
6- साफ्टवेचर डवलपमेंट
7- ऑटो रिपेयर सेन्टर
8- इन्डस्ट्रीयल फोटोग्राफी
9- फोटोग्राफिक लैब
10- इन्डस्ट्रीयल रिसर्च एण्ड डवलपमेन्ट लैब्स
11- इन्डस्ट्रीयल टेस्टिंग लैब्स
12- कम्प्यूटराईज्ड डिजाईन एण्ड ड्राफ्ट
13- कच्चे माल एवं तैयार माल हेतु टेस्टिंग लैब
14- प्रिंटिंग प्रेस
15- कृषि यंत्र, इलेक्ट्रोनिक, इलेक्ट्रीकल इक्यूपमेंट, ट्रांसफार्मर, मोटर, रेडियो, घड़ी आदि हेतु रिपेयंरंग सेन्टर
16- घर्मकांटा
17- हैयर कटिंग सैलून
18- होटल/ढाबा
19- ग्रामीण चिकित्सा सेवा केन्द्र
20- टैन्ट हाउस
21- डेकोरेशन
22- बैण्ड़ बाजा
23- केटरिंग
24- कम्पयूटर ग्राफिक्स एवं डेटा प्रोसेसिंग
25- एक्स-रे क्लिनिक
26- लोन्ड्री, ड्राइक्लिनिंग
उपरोक्त उद्देश्य केवल उदाहरणार्थ है। इनके अलावा अन्य पात्र उद्देश्यों हेतु भी ऋण वितरण किया जा सकता है।
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